कैसे अमेरिकी किसान खेती को बनाते हैं स्मार्ट और प्रभावी (How U.S. Farmers Make Farming Smart and Effective)

कैसे अमेरिकी किसान खेती को बनाते हैं स्मार्ट और प्रभावी (How U.S. Farmers Make Farming Smart and Effective) खेती केवल भारत ही नहीं अपितु विश्व के अनेक देशों के लोगों के जीवनयापन का प्रमुख साधन है इसलिए हर भारतीय के मन में यह सवाल रहता है कि विकसित देश जैसे अमेरिका में खेती किस प्रकार … Read more

भारत में प्रमुख गाय की नस्लें और उनकी विशेषताएँ

भारत में प्रमुख गाय की नस्लें

भारत में प्रमुख गाय की नस्लें और उनकी विशेषताएँ :- भारत देश कृषि प्रधान देश है। देश मे कृषि के साथ पशु पालन भी मुख्य आय व गुजारे का स्त्रोत है। देश मे अलग- अलग जगह पर्यावरण के अनुसार जीव-जन्तु निवास करते है। इसी प्रकार आज हम किसाान साथी के द्वारा हम भारत देश मे … Read more

ऊंट सरंक्षण योजना की राशि बढ़कर हुई 20000 रूपये आज ही आवेदन करे (The amount of camel protection scheme has been increased to Rs 20,000)

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ऊंट सरंक्षण योजना की राशि बढ़कर हुई 20000 रूपये आज ही आवेदन करे (The amount of camel protection scheme has been increased to Rs 20,000) राजस्थान मैं काफ़ी ज़्यादा मरुस्थलीय भूमि है जहाँ ऊंटों की अति आवश्यकता होती है राजस्थान में लगातार गिरती हुई ऊंटों की संख्या एक चिंताजनक विषय हैं। ऊंट की तेजी से … Read more

दुग्ध उत्पादन व्यवसाय: सफलता की ओर बढ़ते कदम (Dairy Business: Steps Towards Success)

दुग्ध उत्पादन व्यवसाय: सफलता की ओर बढ़ते कदम

दुग्ध उत्पादन व्यवसाय: सफलता की ओर बढ़ते कदम (Dairy Business: Steps Towards Success) दूध का व्यवसाय एक कृषि से जुड़ा हुआ व्यवसाय है,दूध उत्पादन के लिए अत्यधिक दूध देने वाली गायों या अन्‍य दुधारू पशुओं को पालना आवश्यक होता है। पनीर, दूध, दही और अन्य दूध से बने उत्पाद हमारी दिन प्रतिदिन के खाद्य पदार्थों … Read more

एक ऐसी क्रांति जिसने भारत देश को बदल कर रख दिया , हरित क्रांति: भारतीय कृषि की नवजागरण(A Revolution That Changed India, Green Revolution: Renaissance of Indian Agriculture)

हरित क्रांति: भारतीय कृषि की नवजागरण

एक ऐसी क्रांति जिसने भारत देश को बदल कर रख दिया , हरित क्रांति: भारतीय कृषि की नवजागरण(A Revolution That Changed India, Green Revolution: Renaissance of Indian Agriculture) भारत देश आज विश्व मे कृषि क्षेत्र मे अपनी अलग ही पहचान बना ली है। एसी कोई फसल या खेती नही है, जो भारत में नही होती … Read more

खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें? जाने ये उत्कृष्ट तरीका Testing the Farm Soil: When, Why and How to Do It?

खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें?जाने ये उत्कृष्ट तरीका

खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें?जाने ये उत्कृष्ट तरीका(Testing the Farm Soil: When, Why and How to Do It?)

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है हमारे देश की कि ग्रामीण आबादी लगभग खेती पर ही निर्भर हैं । भारत में आज भी पारंपरिक रूप से ही खेती की जाती है भारतीय किसान खेती की नई तकनीक का उपयोग कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं किसान अपने खेत की मिट्टी के अनुरूप खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं ।
मिट्टी परीक्षण के लिए केंद्र सरकार ने साल 2015 में प्रधानमंत्री सॉयल हेल्थ कार्ड योजना (Prime Minister Soil Health Card Scheme) को लॉन्च किया था।

खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें?जाने ये उत्कृष्ट तरीका
खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें?जाने ये उत्कृष्ट तरीका

इस योजना की थीम ’स्वस्थ धरा, खेत हरा’ है। सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत पूरे देश भर में करीब 11 हजार 531 सॉयल टेस्टिंग लैब खोले गए हैं। मृदा की जांच के लिए चलाई जा रही सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत किसानों को हर दूसरे साल मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है। जिससे किसानों को पता चल सके कि उनके खेतों की मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है।

खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब और क्यों करें(Field Soil Testing: When and Why)

जिस प्रकार हमारे मानसिक और शारीरिक विकास के लिए हमारे भोजन में अच्छे पोषक तत्वों का होना आवश्यक है। वैसे ही किसी भी फसल के पौधे के अच्छे विकास के लिए उस खेत की मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों का होना भी अति महत्वपूर्ण हैं।

अगर हम अपने खेत की मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों की मात्रा का ध्यान रखें और हर दो साल बाद अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करवा कर ,हमारे खेत की मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी हो रही है। उनकी उचित खाद से पूर्ति करते रहे तो खेत में अच्छी पैदावार होती रहेगी। अगर हम बिना मिट्टी परीक्षण के खेत में उर्वरक का उपयोग करते हैं तो उसे उर्वरक की मात्रा कम या ज़्यादा हो जाती है जिससे हमारी फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

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खेत की मिट्टी का परीक्षण: मिट्टी का नमूना कैसे लें(Field Soil Testing: How to Take a Soil Sample)

फसल की बुवाई से पहले मिट्टी का नमूना लेना चाहिए। बरसात या सिंचाई से पूर्व ही मिट्टी का नमूना लेना चाहिए। नमूना लेने के लिए लगभग आधा से एक फुट का गहरा गड्ढा खोद कर उससे नमूना इकट्ठा करना होता हैं ।

खेत में अलग अलग स्थानों से खेत की मिट्टी का नमूना लेना चाहिए । इस प्रकार एक हैक्टेयर खेत मे से कम से कम 5-6 जगहों से नमूने इकट्ठे करें, ताकि पूरे खेत की जमीन के लिए मृदा जाँच का नमूना ठीक तरह से तैयार हो सके।
सभी जगह की मिट्टी को एक साथ अच्छी तरह मिलाकर ढेर बना लें। सभी ढेर की मिट्टी को अच्छे से मिलाए और इस प्रक्रिया को तब तक दोहरायें जब तक सभी ढेर की मिट्टी अच्छे से मिल ना जाये । हाँ अब इस अच्छे से मिली हुई मिट्टी में से आधा किलो मिट्टी रखें और बाक़ी फेंक दें।

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खेत की मिट्टी का परीक्षण: नमूना जांच कैसे करें? (Soil Testing of Field: How to Sample Check? )

अपने नजदीकी मिट्टी जांच प्रयोगशाला में नमूना जांच के लिए दे सकते हैं जहां पर इसकी जांच मुफ्त में की जाती है।मिट्टी नमूने की थैली के साथ निम्न सूचना पर्ची पर लिखकर थैली के अन्दर एवं थैली के ऊपर भी लिख दें।(i). किसान का नाम
(ii). खेत का खसरा नम्बर या खेत की पहचान का नाम/नम्बर
(iii). खेत मे पूर्व मे बोई गई फसल का नाम
(iv). नमूना लेने की तारीख
(v). निकट भविष्य में उगाई जाने वाली फसलों के नाम

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निष्कर्ष: मिट्टी का परीक्षण करना खेत की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक है। सही समय पर और सही तरीके से परीक्षण करने से कृषि उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।

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गुलाब की खेती। gulab ki kheti। rose farming। पूरी जानकारी।

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गुलाब के फूलों की खेती ऐसे करें

किसान अब खेती में नवाचार कर धीरे-धीरे फूलों की खेती भी करने लगे हैं. फूलों में सबसे अधिक डिमांड गुलाब के फूलों की है. इस लिये आज किसानों को गुलाब फूल की खेती कैसे करते इस बारे में जानकारी देंगें । गुलाब की खेती करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इस बारे में विस्तार से जानकारी देंगे । भारत में  गुलाब कर्नाटक, तामिलनाडु, महांराष्ट्र, बिहार, पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

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गुलाब की खेती: मिट्टी

अच्छे उत्पादन के लिये खुली जगह जहाँ अच्छी धूप रहती हो सबसे उपयुक्त रहती हैं ।बरसात के दिनों में पानी नहीं ठहरना चाहिये । बढ़िया विकास के लिए मिट्टी का pH 6 से 7.5  होना चाहिए।

 गुलाब की खेती। gulab ki kheti। rose farming। पूरी जानकारी।
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गुलाब की खेती: मिट्टी की तैयारी

खेत को क्यारियों में बाँट लेते है क्यारियों की लम्बाई चौड़ाई 5 मीटर लम्बी 2 मीटर चौड़ी रखते है। दो क्यारियों के बीच में आधा मीटर स्थान छोड़ना चाहिएI क्यारियों को अप्रैल मई में एक मीटर की गुड़ाई एक मीटर की गहराई तक खोदे और 15 से 20 दिन तक खुला छोड़ देना चाहिए, 2 टन रूड़ी की खाद और 2 किलो सुपर फासफेट डालनी चाहिए ।

गुलाब की खेती: जलवायु

गुलाब एक बहुवर्षीय पौधा है ।गुलाब समशीतोष्ण जलवायु का पौधा है। इसके लिए बहुत गर्म या ठंडी जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है।

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