Organic Manure Boosting Soil Health for Farmers

जैविक खाद (Organic Manure):-

हमारी ज़मीन में भी अन्य एक जीवों का वास है मिट्टी में बहुत बड़ी संख्या में सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं किसी भी प्रकार के फसल के विकास में सूक्ष्म जीवाणुओं का बहुत योगदान होता है | बिना सूक्ष्म जीवाणुओं के फसल को खाद मिलना संभव ही नहीं है |

जो जीवाणु हमारी खेती के लिए फ़ायदेमंद होते हैं हमारे द्वारा लगातार किए जा रहे हैं रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से उनके जीवन को ख़तरा पैदा हो रहा है और ये लगातार कम होते जा रहे हैं जिससे ज़मीन की उर्वरा शक्ति भी कम होती जा रही है अगर इन लाभकारी जीवों को सही से पोषण मिले तो ज़मीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है और वो फ़सलों की पैदावार भी बढ़ती है और किसानों को अच्छा लाभ होता है।

आज यहाँ हम आपके साथ जैविक खाद के बारे में संपूर्ण जानकारी साझा करेंगे जिससे कि आप लोग ज़्यादा से ज़्यादा इसका लाभ उठा सकें।

Organic Manure
Organic Manure

1.जैविक खाद क्या है

जैविक खाद में खनिज बेस्ड खाद जैसे पीट और गोबर, विष्ठा , जैसे जैविक अप्शिष्ट , सब्जियों, फलों और अंडे के छिलके ,इनका कम्पोस्ट , नाली का प्रोसेस किया अपशिष्ट आता है | कुछ जैविक खादों में मांस प्रसंस्करण अपशिष्ट, खाद , घोल और गुआनो सहित सभी पशु अपशिष्ट शामिल हैं।

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2.जैविक खाद के फायदे

1.जैविक खेती से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है और भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है.
2.रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।
3.फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती।
4.बाज़ार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ने से किसानों की आय में भी वृद्धि होती है।
5.जैविक खाद का उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है।
6.जैविक खेती में पौधों, जानवरों, कीड़ों, और सूक्ष्म जीवों की जैव विविधता बढ़ती है.
7.भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होता है।
8.भूमि के जलस्तर में वृद्धि होती है।
9.मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है।
10.कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है।
11.फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि होती है।

3.जैविक खाद के प्रकार-Types Of Organic Manure In Hindi

1.वर्मी कम्पोस्ट या केंचुआ खाद,
2.सीपीपी (गाय के गोबर की खाद)
भारत में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट या केंचुआ खाद है आज इसी के बारे में बात करते हैं

 वर्मीकम्पोस्ट या केंचुआ खाद-Best Manure For Plants Vermicompost In Hindi

सबसे पहले तापमान व नमी को नियंत्रित रखने के लिए एक शेड बनाया जाता है। फिर इस शेड के नीचे वर्मी टैंक जिसका आकार लगभग 1.5मी. चौड़ा , 0.75मी. गहरा और 15मी. लंबा होता है।

केंचुआ खाद बनाने के लिए सामग्री के रूप में कृषि अवशेष, जल खुंबी, नीम केला बबूल व अन्य पेड़ो की पत्तियाँ, हरी सुखी पत्तियाँ, बिना फुली घास,गले-सड़े फल व सब्जियाँ, घरेलू कचरा व पशुओं का गोबर,भेड़-बकरियों का अपशिष्ट प्रयोग में लाया जा सकता है।

गोबर का घोल बनाकर उसमें अन्य सामग्री को मिला कर 15- 20 दिन तक सड़ाया जाता है। इसके बाद वर्मी टैंक में 6-8 इंच की परत बना देते हैं। इस गोबर की परत के ऊपर 600-1000 केचुएँ प्रति वर्ग मी. के हिसाब से डाले हैं। केंचुआ की प्रजाति जो उपयोग में लाई जाती है वो है-इसीनिया फोएटिडा, यूड्रिजस यूजिनी, फेरीटिमा एलोंगटा आदि केंचुए।

टैंक के अंदर तापमान 25-30 सेल्सियस व 30-35 प्रतिशत नमी रखी जाती है। शेड पर अंधेरा बनाए रखें क्योंकि केंचुए अंधेरे में ज्यादा रहते हैं। 25-30 दिन बाद ढेर को धीरे-धीरे पलटते हैं। लगभग 60-75 दिन में वर्मीकम्पोस्ट तैयार हो जाती है। टैंक में विषैले पौधों नहीं डालें। इसके साथ-साथ गड्डों को चींटियों, कीड़े-मकोड़ों, कौओं तथा पक्षियों आदि से सुरक्षित रखें । 8-12 प्रतिशत नमी रख कर इस खाद का एक साल तक भंडारण कर सकते हैं।

गोबर की खाद-Best Fertilizer For Plants Dung Manure In Hindi

घर पर गोबर की खाद बनाने के लिए एक बडे़ खड्डा खोद कर उसमें बराबर मात्रा में गोबर और गोमूत्र मिला कर भर दें. उसके बाद इस पूरे मिश्रण में एक किलो पिसा हुआ गुड़, बेसन और मिट्टी मिलाएं. अब इस तैयार मिक्स में एक से दो लीटर पानी डालकर 30 दिनों के लिए ढक कर खड्डे पर छाया कर दें. इस तरह गोबर से बनी खाद तैयार हो जाएगी ।

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