भारत मे होने वाली प्रमुख धासे:- Major Scams in India

भारत मे होने वाली प्रमुख धासे:-Major morsel in India

भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां के लोगोें की आजीविका कृृषि और पशुपालन से जुड़ी हुई है। राजस्थान,भारत का एक ऐसा राज्य है जिसका सम्पूर्ण क्षेत्रफल लगभग शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में आता है। यहां के बड़े हिस्से में मवेशी, बकरियां,ॅ उंट और भेड़ आदि पाले जाते हैै। पानी की कमी के बावजूद ऐसी पोष्टिक घास की आवश्यकता होती है जो पोषक तत्वों से पूर्ण होने के साथ साथ शुष्क और अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में भी उग सके। राजस्थान में निम्न प्रकार की घास पाई जाती है-

 भारत मे होने वाली प्रमुख धासे:-Major morsel in India

अंजनः- यह घास शुष्क व अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में पायी जाने वाली एक प्रमुख घास हैं। इसका एक अन्य नाम बफेल घास भी है। यह भी एक बहुवर्षीय घास है। इसकी लम्बाई लगभग एक मीटर तक होती है।

यह 125 मिमी. से 1200 मिमी. तक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में होती है। यह रेतीली, दोमट,कंकरीली व पथरीली भूमी में आसानी से उग जाती हैै। यह राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर,जोधपुर एवं बाड़मेर जिलों में पायी जाती है। यह एक बहुत ही रसीली व पौष्टिक घास है। इसमें लगभग 8-10 प्रतिशत तक प्रोटिन पाया जाता है। इस घास को सभी प्रकार के पशु बड़े ही चाव से खाते है।

धामनः-यह घास शुष्क व अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में पायी जाने वाली एक प्रमुख बहुवर्षीय घास हैं। यह घास काली दोमट से पथरीली भूमी में आसानी से पैदा होती है। यह घास बहुत ज्यादा गर्मी व सुखा भी सहन कर सकती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी यह घास बहुतायत में पाई जाती है। यह मुख्य रूप से अफ्रिका के चारागाह में पाई जाती है।

यह लगभग 50 मिमी. से 200 मिमी वार्षिक वर्षा वाले प्रदेशों में आासानी से उगाई जा सकती है। यह राजस्थान में मुख्यतः पश्चिमी राजस्थान में मिलती है। इसकी बुवाई मुख्यत बरसात के मौसम में की जाती है। लगभग एक साल तक इसको विकसित होने देना चाहिये। उसके बाद ही चारागाह में चराई प्रारंभ करनी चाहियें। इस घास का चारा सभी पशुओं के खाने योग्य तथा सुपाच्य होता है।

भूरटः- भूरट घास पोएसी परिवार की एक वर्षीय घास है, जिसे भुरूट भी कहा जाता है। यह लगभग सम्पूर्ण राजस्थान में पायी जाती हैं। इस घास को पशु बीज बनने से पहले बडें़ ही चाव से खाते है। यह खरीफ की फसल के साथ उगती है।

यह लगभग एक फिट तक लम्बी होती है। यह मुख्यतः पश्चिमी राजस्थान में जंगली अवस्था में रहती है और फसलों में खरपतवारों के रूप में देखी जाती है। यह घास राजस्थान में मृदा क्षरण को रोकने में भी उपयोगी होती है। इसमें प्रोटीन की मात्रा अच्छी होती है।

राजस्थान में पाई जानी वाली उपरोक्त घास पौष्टिक तत्वों से पूर्ण होने के कारण पशुओं का एक मुख्य चारा है। जो पशुओं के स्वास्थ्य और दुग्ध उत्पादन के लिए आवश्यक है। राजस्थान में पाई जाने वाली घास के सेवन से पशुओं का पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और वे सशक्त बनते है। इस लिए घास का पशुपालन के लिए आवश्यक तत्व है।

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