“जानिए क्या है PKC-ERCP योजना, जिससे बुझेगी राजस्थान के 21 जिलों की प्यास”

जानिए क्या है PKC-ERCP योजना, जिससे बुझेगी राजस्थान के 21 जिलों की प्यास

“जानिए क्या है PKC-ERCP योजना, जिससे बुझेगी राजस्थान के 21 जिलों की प्यास” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2024 में राजस्थान में पानी की कमी को दूर करने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास किया. इस परियोजना का नाम पार्वती-कालसिंध-चंबल-ईआरसीपी (PKC-ERCP) है. इस परियोजना की लागत लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये तक होने का … Read more

“दुबई की चमक से गांव की मिट्टी तक: ऐशो आराम की नौकरी छोड़कर खेती में नया जीवन”?

दुबई की चमक से गांव की मिट्टी तक: ऐशो आराम की नौकरी छोड़कर खेती में नया जीवन”?

दोस्तों आज हम एक ऐसे किसान से अवगत करवाना चाहते है। जो 25 वर्ष तक दुबई जैसी जगह पर नौकरी कि और अब अपने गांव वापिस आकर कृषि क्षेत्र मे अपना हाथ आजमा रहे है।


हम बात कर रहे है ,कृषक रफीक खोखर जो मूलत सरदारशहर निवासी है। उनका जन्म स्थान भी यही है। युवावस्था मे मात्र 15 साल कि उम्र मे ही धर से दूर दुबई नौकरी करने चले गये।उस  द्वौरान उन्होने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे।

धर/परिवार से दूर भला कौन रह सकता है, आखिर इंसान कमाता भी किसके लिए है। इस सोच के साथ रफीक जी ने भी यही सोचा कि अब बहुत हुआ। अब आगे का जीवन धर/परिवार के साथ ही व्यतीत किया जावे।

रफीक जी कि कृषि योग्य भूमि भी है, उन्होने 25 वर्ष तक दुबई मे व्यतीत कर आगे का जीवन शांति पूर्ण परिवार के साथ और कृषक जीवन मे व्यतीत करने का सोचा। वर्ष 2023 में दुबई को अलविदा कह दिया और आज अपने परिवार के साथ सरदारशहर मे ही निवास कर रहे है।


वर्तमान मे रफीक जी खेती के साथ-साथ खुद का प्रोपर्टी का कार्य भी कर रहे है।

आर.के. खोखर कन्सटंक्सन, सरदारशहर

मोबाईल नंबर 9672454629

 


 

ये फोटों सरसो के बुहाई के बाद कि है, जो कि देखने मे बहुत शानदार नजारा है।

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इस प्रकार की कहानी अक्सर ऐसे व्यक्ति की होती है जिसने उच्च-भुगतान वाली नौकरी को छोड़कर अपने गांव में लौटने और खेती या अन्य ग्रामीण व्यवसाय में नई शुरुआत की हो। इस प्रक्रिया में, वे प्रकृति और ग्रामीण जीवन की सादगी का आनंद लेते हैं, और शायद सामाजिक और पर्यावरणीय योगदान भी करते हैं।

फार्मर रजिस्ट्री: राजस्थान के किसानों को अब मिलेगी, एक नई पहचान

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फार्मर रजिस्ट्री: राजस्थान के किसानों को अब मिलेगी, एक नई पहचान अब देश मे राजस्थान किसानों कि पहचान एक 11 अंको कि यूनिक आईडी से होगी। इस फार्मर आईडी के द्वारा किसानों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा। केन्द्र सरकार द्वारा संचालित एग्रीस्टैक योजना के तहत प्रत्येक किसान कि अपनी फार्मर रजिस्ट्री … Read more

भारत में प्रमुख गाय की नस्लें और उनकी विशेषताएँ

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भारत में प्रमुख गाय की नस्लें और उनकी विशेषताएँ :- भारत देश कृषि प्रधान देश है। देश मे कृषि के साथ पशु पालन भी मुख्य आय व गुजारे का स्त्रोत है। देश मे अलग- अलग जगह पर्यावरण के अनुसार जीव-जन्तु निवास करते है। इसी प्रकार आज हम किसाान साथी के द्वारा हम भारत देश मे … Read more

गेहूं उत्पादन की उन्नत तकनीक, कब और कैसे करें बुवाई

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गेहूं उत्पादन की उन्नत तकनीक, कब और कैसे करें बुवाई (Advanced technology of wheat production, when and how to sow) भारत का विश्व में गेहूं उत्पादन में दूसरा स्थान है। गेंहूं कि फसल रबी कि फसलों मे मुख्य फसल है। भारत मे हरित क्रांति के पश्चात गेहूं उत्पादन मे काफी वृद्धि देखने को मिली। एक … Read more

गुलाब की खेती। gulab ki kheti। rose farming। पूरी जानकारी।

गुलाब की खेती। gulab ki kheti। rose farming। पूरी जानकारी।

गुलाब के फूलों की खेती ऐसे करें

किसान अब खेती में नवाचार कर धीरे-धीरे फूलों की खेती भी करने लगे हैं. फूलों में सबसे अधिक डिमांड गुलाब के फूलों की है. इस लिये आज किसानों को गुलाब फूल की खेती कैसे करते इस बारे में जानकारी देंगें । गुलाब की खेती करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इस बारे में विस्तार से जानकारी देंगे । भारत में  गुलाब कर्नाटक, तामिलनाडु, महांराष्ट्र, बिहार, पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

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गुलाब की खेती: मिट्टी

अच्छे उत्पादन के लिये खुली जगह जहाँ अच्छी धूप रहती हो सबसे उपयुक्त रहती हैं ।बरसात के दिनों में पानी नहीं ठहरना चाहिये । बढ़िया विकास के लिए मिट्टी का pH 6 से 7.5  होना चाहिए।

 गुलाब की खेती। gulab ki kheti। rose farming। पूरी जानकारी।
गुलाब की खेती। gulab ki kheti। rose farming। पूरी जानकारी।

गुलाब की खेती: मिट्टी की तैयारी

खेत को क्यारियों में बाँट लेते है क्यारियों की लम्बाई चौड़ाई 5 मीटर लम्बी 2 मीटर चौड़ी रखते है। दो क्यारियों के बीच में आधा मीटर स्थान छोड़ना चाहिएI क्यारियों को अप्रैल मई में एक मीटर की गुड़ाई एक मीटर की गहराई तक खोदे और 15 से 20 दिन तक खुला छोड़ देना चाहिए, 2 टन रूड़ी की खाद और 2 किलो सुपर फासफेट डालनी चाहिए ।

गुलाब की खेती: जलवायु

गुलाब एक बहुवर्षीय पौधा है ।गुलाब समशीतोष्ण जलवायु का पौधा है। इसके लिए बहुत गर्म या ठंडी जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है।

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प्याज की खेती : रोपाई से लेकर फसल कटाई तक की समस्त जानकारी (Onion Farming: All you need to know from planting to harvesting)

प्याज की खेती

प्याज की खेती: रोपाई से लेकर फसल कटाई तक की समस्त जानकारी (Onion Farming: All you need to know from planting to harvesting) प्याज हर भारतीय रसोई सलाद ,अचार, सूप एवं सब्ज़ी के रूप में प्रयोग होता है। प्याज एक नक़दी फ़सल हैं जो मुख्यत सर्दियों में उगायी जाती है। इसमें कुछ मात्रा में प्रोटीन … Read more

भिंडी कि खेती करने की नई तकनीकी जाने Learn the new technique of cultivating okra

भिंडी की खेती 

भिंडी कि खेती करने की नई तकनीकी जाने Learn the new technique of cultivating okra

भिंडी भारतीय रसोई की एक प्रमुख सब्जी है जो पौष्टिक और खनिज तत्वों से भरी हुईं है भिंडी में विटामिन ए ,विटामिन सी ,पोटेशियम ,एंटी ऑक्सीडेंट और मैग्नीशियम पाया जाता है। भिंडी पाचन तंत्र के लिए बहुत ही लाभदायक सब्ज़ी है। भारत में भिंडी की खेती उत्तर प्रदेश ,महाराष्ट्र ,तमिलनाडु ,केरल पश्चिम बंगाल ,कर्नाटक और गुजरात में होती हैं ।
भिंडी की खेती 
भिंडी की खेती 

भिंडी की खेती का समय Okra cultivation time

अब भिन्डी की बुवाई साल में तीन बार होती है फ़रवरी-मार्च,जून-जुलाई और अक्टूबर-नवंबर में होती हैं ।

उपयुक्त समय एवं जलवायु Suitable Time & Climate

भिंडी की खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु अच्छी रहती हैंबीज उगने के लिये 27-30 डिग्री से०ग्रे० तापमान उपयुक्त होता है तथा 17 डिग्री से०ग्रे० से कम पर बीज अंकुरित नहीं होते। यह फसल ग्रीष्म तथा खरीफ, दोनों ही ऋतुओं में उगाई जाती है। भूमि का पी0 एच० मान 7.0 से 7.8 होना उपयुक्त रहता है। भूमि की दो-तीन बार जुताई कर भुरभुरी कर तथा पाटा चलाकर समतल कर लेना चाहिए ।
  • पूसा ए-4 – ये उन्नत किस्म एफिड और जैसिड जैसे कीटों का मुकाबला करने के साथ ही पीतरोग यैलो वेन मोजैकविषाणु रोधी भी है। इस किस्म को बोने के करीब 15 दिन बाद से ही फल आने लगते हैं।
  • परभनी क्रांति (Parbhani Kranti) – भिंडी वैरायटी परभणी क्रान्ति पीत-रोग का मुकाबला करने में सक्षम हैं। इसके बीज लगाने के करीब 50 दिन बाद फल आने शुरू होते हैं।
  • पंजाब-7 – भिंडी की यह उन्नत किस्म भी पीतरोग रोधी है। इस किस्म की भिंडी के पौधे बोने होते हैं और करीब 55 दिन बाद फल आने लगते हैं।
  • अर्का अभय – इस किस्म की भिंडी के पौधे 120-150 सेमी लंबे और एकदम सीधे होते हैं।

भिंडी कि खेती करने की नई तकनीकी जाने Learn the new technique of cultivating okra

  • अर्का अनामिका (Arka Anamika) – इसमें कई शाखाएं भी होती हैं। इस किस्म की भिंडी के फलों में रोए नहीं होते और वह मुलायम होती है। यह किस्म गर्मी और बरसात दोनों के लिए उपयुक्त है।
  • वर्षा उपहार–इसके पत्तों का रंग गहरा हरा होते है और मॉनसून में बुवाई के करीब 40 दिनों बाद फूल निकलने लगते हैं।
  • हिसार उन्नत – मॉनसून और गर्मी दोनों मौसम के लिए उपयुक्त इस किस्म की भिंडी के पौधे 90-120 सेमी. तक लंबे होते हैं इस किस्म की भिंडी 46-47 दिनों में तोड़ने के लिए तैयार हो जाती है।
  • वी.आर.ओ.-6 – इस किस्म में फूल जल्दी निकलते हैं। बुवाई के 38 दिन बाद ही फूल निकलने लगते हैं।
  • पूसा सावनी –  गर्मी और बरसात के लिए उपयुक्त
  • पूसा मखमली
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मशरूम की खेती से कमाये करोड़ों  Millions earned from mushroom farming.

mushroom ki kheti

मशरूम की खेती से कमाये करोड़ों Millions earned from mushroom farming आज भारत के  विभिन्न क्षेत्रों में किसान खेती के क्षेत्र में नवाचार कर के अच्छा मुनाफ़ा कमा रहे हैं अच्छा मुनाफ़ा देने वाली सब्ज़ियों में मशरूम का एक प्रमुख स्थान है मशरूम ऐसी सब्ज़ी की खेती है जिसमें कम निवेश हमें अच्छा मुनाफ़ा कमाया … Read more

सर्दियो मे किसान पशुओं को खिलाए यह खास चारा, बंपर होगा दूध का उत्पादन, जानिए खेती करने का तरीका नेपीयर धास

सर्दियो मे किसान पशुओं को खिलाए यह खास चारा, बंपर होगा दूध का उत्पादन, जानिए खेती करने का तरीका
नेपीयर धास In winter, farmers feed this special fodder to animals, there will be a bumper production of milk, learn the method of farming.

पशुओं के दूध उत्पादन के लिए जरूरी है, अच्छा खान पान। जी हां दोस्तो आज हम नेपीयर धास के बारे मे जानते है क्यू इसे पोष्टिक धास कहा जाता है। नेपीयर धास मूल रूप से थाईलैंड मे उगने वाली धास है। इस धास का आकार बड़ा होने के कारण इसे हाथी धास भी कहा जाता है। आज के इस लेख मे हम बताएगे कि ये किसानांे के लिए किस प्रकार फायदेंमद है।

नेपीयर धास
नेपीयर धास

बार-बार कटने के लिए हो जाता है तैयार

ये धास एक बार बोने के बाद 4 से 5 वर्ष तक इस का उपयोग ले सकते है। ये धास प्रत्येद 50 से 55 दिन के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसलिए किसान के लिए ये चारा आर्थिक रूप से फाॅयदेमद है।

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कब और कैसे करें इसकी खेती

नेपीयर कि बुआई गन्ने कि खेती कि तरह कि जाती है। नेपीयर धास लगाने का सबसे अच्छा समय मार्च का महीना होता है, लेकिन इसे जुलाई-अगस्त मे भी लगा सकते है। अधिक गर्मी व अधिक सर्दी इसे नुकसान पहुचाती है। ये एक सदाबार चारा है। अतः इसे बारहमासी धास भी कहा जाता है।

नेपीयर धास लगाने के फायदे अनेक

नेपीयर धास बारहमासी होती है, अतः किसान इस हरे चारे को धर के पशुओ के लिए या फिर अन्य जगह चारे को बेच कर मुनाफा कमा सकता है। हरे चारे कि मांग दिनादिन बढती जा रही है।इस कारण किसान को इसका अच्छा पैसा मिल जाता है। सामान्य ये हरा चारा 4 से 5 रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से बिकता है।
ये धास पोष्टिक होती है, अतः पशुओ को स्वस्थ रखने के साथ-साथ दूध उत्पादन मे वु़िद्व के लिए भी कारगार है।
उम्मीद है, ये लेख आपके लिए फायेंदमद होगा किसी भी प्रकार कि जानकारी के लिए हमसे संपर्क कर सकते है।