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हरित क्रांति: भारतीय कृषि की नवजागरण

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खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें? जाने ये उत्कृष्ट तरीका Testing the Farm Soil: When, Why and How to Do It?

खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें?जाने ये उत्कृष्ट तरीका

खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें?जाने ये उत्कृष्ट तरीका(Testing the Farm Soil: When, Why and How to Do It?)

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है हमारे देश की कि ग्रामीण आबादी लगभग खेती पर ही निर्भर हैं । भारत में आज भी पारंपरिक रूप से ही खेती की जाती है भारतीय किसान खेती की नई तकनीक का उपयोग कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं किसान अपने खेत की मिट्टी के अनुरूप खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं ।
मिट्टी परीक्षण के लिए केंद्र सरकार ने साल 2015 में प्रधानमंत्री सॉयल हेल्थ कार्ड योजना (Prime Minister Soil Health Card Scheme) को लॉन्च किया था।

खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें?जाने ये उत्कृष्ट तरीका
खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब, क्यों और कैसे करें?जाने ये उत्कृष्ट तरीका

इस योजना की थीम ’स्वस्थ धरा, खेत हरा’ है। सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत पूरे देश भर में करीब 11 हजार 531 सॉयल टेस्टिंग लैब खोले गए हैं। मृदा की जांच के लिए चलाई जा रही सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत किसानों को हर दूसरे साल मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है। जिससे किसानों को पता चल सके कि उनके खेतों की मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है।

खेत की मिट्टी का परीक्षण: कब और क्यों करें(Field Soil Testing: When and Why)

जिस प्रकार हमारे मानसिक और शारीरिक विकास के लिए हमारे भोजन में अच्छे पोषक तत्वों का होना आवश्यक है। वैसे ही किसी भी फसल के पौधे के अच्छे विकास के लिए उस खेत की मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों का होना भी अति महत्वपूर्ण हैं।

अगर हम अपने खेत की मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों की मात्रा का ध्यान रखें और हर दो साल बाद अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करवा कर ,हमारे खेत की मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी हो रही है। उनकी उचित खाद से पूर्ति करते रहे तो खेत में अच्छी पैदावार होती रहेगी। अगर हम बिना मिट्टी परीक्षण के खेत में उर्वरक का उपयोग करते हैं तो उसे उर्वरक की मात्रा कम या ज़्यादा हो जाती है जिससे हमारी फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

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खेत की मिट्टी का परीक्षण: मिट्टी का नमूना कैसे लें(Field Soil Testing: How to Take a Soil Sample)

फसल की बुवाई से पहले मिट्टी का नमूना लेना चाहिए। बरसात या सिंचाई से पूर्व ही मिट्टी का नमूना लेना चाहिए। नमूना लेने के लिए लगभग आधा से एक फुट का गहरा गड्ढा खोद कर उससे नमूना इकट्ठा करना होता हैं ।

खेत में अलग अलग स्थानों से खेत की मिट्टी का नमूना लेना चाहिए । इस प्रकार एक हैक्टेयर खेत मे से कम से कम 5-6 जगहों से नमूने इकट्ठे करें, ताकि पूरे खेत की जमीन के लिए मृदा जाँच का नमूना ठीक तरह से तैयार हो सके।
सभी जगह की मिट्टी को एक साथ अच्छी तरह मिलाकर ढेर बना लें। सभी ढेर की मिट्टी को अच्छे से मिलाए और इस प्रक्रिया को तब तक दोहरायें जब तक सभी ढेर की मिट्टी अच्छे से मिल ना जाये । हाँ अब इस अच्छे से मिली हुई मिट्टी में से आधा किलो मिट्टी रखें और बाक़ी फेंक दें।

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खेत की मिट्टी का परीक्षण: नमूना जांच कैसे करें? (Soil Testing of Field: How to Sample Check? )

अपने नजदीकी मिट्टी जांच प्रयोगशाला में नमूना जांच के लिए दे सकते हैं जहां पर इसकी जांच मुफ्त में की जाती है।मिट्टी नमूने की थैली के साथ निम्न सूचना पर्ची पर लिखकर थैली के अन्दर एवं थैली के ऊपर भी लिख दें।(i). किसान का नाम
(ii). खेत का खसरा नम्बर या खेत की पहचान का नाम/नम्बर
(iii). खेत मे पूर्व मे बोई गई फसल का नाम
(iv). नमूना लेने की तारीख
(v). निकट भविष्य में उगाई जाने वाली फसलों के नाम

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निष्कर्ष: मिट्टी का परीक्षण करना खेत की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए आवश्यक है। सही समय पर और सही तरीके से परीक्षण करने से कृषि उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।

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