भारत मे खजूर की खेती

भारत मे खजूर की खेती: एक लाभकारी कृषि व्यवसाय

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खजूर एक पौषक तत्वों से भरपूर फल हैं। इसके सुखे हुए फलों से पिंड खजूर तथा छुहारों को बनाया जाता है। खजूर का सबसे बड़ा उत्पादक व निर्यातक देश ईरान है।
आधुनिक तकनिकों का उपयोग कर भारत के कइर् राज्यों के किसान सालाना लाखों रूपये की कमाई कर रहे है। अरब देशों के समकक्ष जलवायु होने के कारण राजस्थान में बाड़मेर,जैसलमेर, बिकानेर, पाली, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
 भारत मे खजूर की खेती
भारत मे खजूर की खेती

खजूर के पोधे के लिए उपयुक्त जलवायु

खजूर के पोधे के लिए शुष्क व अर्द शुष्क जलवायु उपयुक्त रहती है जहां दिन का तापमान उच्च व रातें लम्बी व ठडी होती है।खजूर के पोधे के लिए अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेल्ससियस व न्यूनतम 5 डिग्री तक होने चाहिये।फूल के लगने और पकने के समय तापमान 23 डिग्री से 40 डिग्री तक होना चाहिये। खजूर के पोधे के लिए सिंचाई की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है।

खजूर के पोधे के लिए उपयुक्त मिट्टी

खजूर की खेती के लिए रेतिली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है जो लगभग दो फिट तक सख्त ना हो। मिट्टी का पीएच लेवल 7 से 8 तक होना चाहिये। इसकी खेती क्षारीय व नमक युक्त मिट्टी में भी हो सकती है लेकिन पैदावार कम होती है।

खजूर की प्रमुख किस्मे और पैदावार

खजूर की किस्में नर और मादा दो भागों में वर्गीकृत होती है।

मादा किस्म

1 मेडजूल- प्रति पोधा लगभग 75-80 किलो तक पेदावार होती है। एक फल को वजन लगभग 12 से 15 ग्राम होता हैं। पोधे की किमत 3433 रूपये प्रति पौध होती है।
2 बरही-औसतन पहली बार 65 किलो तक पहली बार पैदावार होती है। एक फल को औसत वजन 15 ग्राम तक होता है तथा टीएसएस 30 प्रतिशत तक होता है। पोध की कीमत 2233 रूपये प्रति पौध होती है।
3 खलास-प्रति पौधा पैदावार 50 किलो तक पहली बार होती है। पौधे की कीमत 2233 रूपये प्रति पौध होती है।
4 खुनैजी-पहली बार औसतन पैदावार 40 किलो तक होती है। पौधे की कीमत 2183 रूपये प्रति पौध होती है।

नर किस्म
1 अलइल सिटी- प्रति पौधा पैदावार लगभग 40 किलो तक होती है। पौध की कीमत 2433 रूपये प्रति पौध होती है
2 घनामी-पहली बार पैदावार 25 किलो तक होती है। कीमत 2933 होती है।
खजूर की खेती में मुख्य रूप से मादा किस्मों के पौधे लगाये जाते है लेकिन पौधे पर परागकण की प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए नर पौधों को लगाना भी आवश्यक होता है। अगर परागकण की प्रक्रिया न की जाये तो फल नहीं लगते है।
सरकार द्वारा खजूर की खेती को बढावा देने के लिए सभी प्रकार की किस्मों पर 75 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदार की जाती है।

खजूर लगाने का समय व तरीका

सबसे उपयुक्त समय फरवरी-मार्च तथा अगस्त-सिमम्बर होता हैं
मिट्टी तैयार करने का तरीका
सबसे पहले 6 से 8 मीटर की दूरी पर 111 मीटर के गड्ढे खोद कर 15 दिनों तक खूले छोड़ दें।
गाय का गोबर मिलाकर गड्ढों का भरें। इन गड्ढों में क्लोरपाइरीफाॅस 50 मिली, फोरेट 10जी 200 ग्राम प्रति गड्ढा डालें।
पौधे लगाने के तरीके
1 बीज से पौधे लगाना- इस पद्धति से पौधे लगाना काफी चुनौतिपूर्ण है एवं फल भी लम्बे समय बाद लगते है लगभग 7-8 साल लग जाते है।
2 टिश्यू कल्चर- इस पद्धति से अच्छी गुणवता का पौधा जल्दी तैयार होता है। 3-4 साल में पैदावार देने वाला पौधा तैयार हो जाता है।

सिंचाई

गर्मियों में 15-20 दिनों के अन्तराल में सिंचाई करनी होती है तथा सर्दियों मेें 30 से 35 दिनों के अन्तराल में सिंचाई करनी होती है।

भारत मे खजूर की खेती: एक लाभकारी कृषि व्यवसाय

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